
गर्भ धारण करने के पश्चात माता अपने बच्चे का भार सहन करती है |नौ माह बाद
बच्चे का जन्म होता है | जन्म के पश्चात से ही पृथ्वी उस बच्चे
का भार ग्रहण करती है अर्थात बच्चे के जन्म लेते ही पृथ्वी पर बच्चे का पालन —
पोषण , खेलना कूदना हँसना –रोना सभी कुछ होता है | नौ माह तक बच्चे को अपने पेट
मे लिये हुए जो स्त्री घूमती है वह उस बच्चे की माता कहलाती है | बच्चा जब जन्म लेता
है तो उसी दिन से पृथ्वी उसका भार जीवन भर ढोती है पृथ्वी की गोद मे बच्चा धीरे -धीरे जवान
होता है जवानी के बाद वृद्धावस्था आती है और व्यक्ति अन्त मे मृत्यु को प्राप्त होकर मिट्टी मे
मिल जाता है | इस प्रकार अन्त मे पृथ्वी अपने बच्चे को अपनी गोद मे छिपा लेती है ! इस प्रकार
जन्म देने वाली भी माता कहलाती है और पृथ्वी भी माता कहलाती है | इस प्रकार हर दृष्टिकोण
से पृथ्वी को माता कहना सही है |
