खतरे
हंसने में मूर्ख समझे जाने का डर है |
रोने में जज्बाती हो जाने का डर है |
लोगों से मिलने में नाते जुड़ जाने का डर है |
अपनी भावनाएं प्रकट करने में
मन की सच्ची बात खुल जाने का डर है |
अपने विचार , अपने सपने लोगों से कहने में
उनके चुरा लिए जाने का डर है |
किसी को प्रेम करने पर बदले में प्रेम न पाने का डर है |
जीने में मरने का डर है
आशा में निराशा का डर है |
कोशिश करने में असफलता का डर है
लेकिन खतरे जरूर उठाए जाने चाहिए क्योकि
जिंदगी में खतरे न उठाना ही सबसे बड़ा खतरा है |
जो शख्श खतरे नहीं उठता वह न तो कुछ करता है
न कुछ पाता है , और न ही कुछ बनता है
वे जिंदगी मे दुख – दर्द से तो बच सकते हैं लेकिन
वे सीखने , महसूस करने , बदलाव लाने , आगे बढ्ने या प्रेम करने
और जीवन जीने को सीख नहीं पाते हैं |
अपने नजरिए की जंजीरों में बंधकरगुलाम बन जाते हैं |
और अपनी आजादी खो देते हैं |
सिर्फ खतरे उठाने वाला इंसान ही सही मायनों में आजाद है |