बीरबल से अक्सर बादशाह अकबर हँसी -दिल्लगी करते ही रहते थे |हँसी -हँसी में ऐसी बात कह जाते थे जो निरुतर करने और नीचा दिखाने के लिए कही जाती है |एक दिन इसी उद्देश्य से बादशाह बोले -बीरबल |जी |
रात सपना देखा है
क्या देखा ?
देखा क्या हम आसमान में उड़ रहे थे हम से मतलब है मै और तुम भी |उड़ते -उड़ते हम दोनों नीचे गिर गये |जब गिर गये तो मैने देखा – मै तो हूँ शहद के कुण्ड में और तुम पड़े थे पाखाने मै |फिर ?
फिर कुछ नही दिखाई दिया था |मेरी आँख अचानक खुल गयी थीं |मै जाग गया था सपना इतना ही देखा |मेरी भी सुन लीजिये |रात बिल्कुल यही सपना मुझे दिखाई दिया था |मै पाखाने के कुण्ड में गिरा था और आप सीधे शहद के कुण्ड में गिरे थे ,आपका सपना वही टूट गया था
परन्तु मेरा सपना आगे जारी रहा मेरी आँख नही खुलीं और आगे मैने उसी सपने में देखा -हम दोनों अपने सने हुए कपड़ों और शरीरों से बाहर निकल आये ,इसके बाद हम लोग एक दूसरे को चाटने लगे |आप मुझे और मै आपको |यह मैने सपने में देखा था |बादशाह लज्जित हो गये |उन्होने तो झूठ ही कहा था |बीरबल नें झूठ का ही दाव मारा था |बीरबल को निरुतर करने की इच्छा करता हुआ राजा स्वंय ही निरुतर हो गया |