पनवाड़ी पति का लव लेटर
हमारी पियारी राम दुलारी ,
सदा मूस्कियात रहो ,
जब से तुम रिसियाय के अपने मंगरू भैया के इहाँ गई हो ,
तब से हमरी जिन्दगी आइसो होई गई है जइसे बिना सुपारी का पान
हमार मन सुरति खाने भी नहीं करत है /
कसम कलकत्ता पान की तुमरे संग हमार मन अइसे घुल मिल गवा है ,
जइसे चुन्ना क्त्थे के साथ मिल जाता है हम मानत हैं कि गलती हमार है कि
हम तुमको सनीमा देखाने नहीं लई गए पर हम का करे दिन भर पान की
दुकान पर बाइठ के चुन्ना लगाए लगाए के हमरी मति भी सुन्न होई गई है ,
अब हम तुमसे हाथ गोड़ जोड़ के चिरौरी करत है कि तुम गुस्सा पीक दो
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