बाधाओं को दूर करना
बाधाओं को दूर करके आगे बढ़ने वाले लोग उन लोगों की तुलना में अधिक सुरक्षित होते हैं ,
जिन्होने कभी उनका सामना ही नहीं किया | हम सभी को कभी न कभी दिक्कतों का सामना करना ही पड़ता है |
उनकी वजह से कई बार हम मायूस हो जाते हैं | निराशाओं का सामना सबको करना पड़ता है ,
पर जीतने वाले हताश नहीं होते | ऐसे हालात का जवाब दृढ़ता ही है |
कहावत
एक अँग्रेजी कहावत है , ‘शांत समुद्र मे नाविक कुशल नहीं बन पाते |
” बाद मे आसान लगने वाली सारी चीजें शुरू मे मुश्किल लगती हैं |
हम अपनी समस्याओं से मुँह नहीं चुरा सकते |
केवल हारने वाले ही कोशिश छोडकर मैदान से हट जाते हैं |
अधिकतर लोग ठीक उस समय हार मान लेते हैं ,
जब सफलता उन्हें मिलने ही वाली होती हो |
विजय- रेखा बस एक कदम की दूरी पर होती है , तभी वे कोशिश बंद कर देते हैं |
वे खेल के मैदान से अंतिम मिनट मे हट जाते हैं ,
जबकि उस समय जीत का निशान उनसे केवल एक फुट के फैसले पर होता है |
एच रॉस पेराट
हम सफलता को कैसे मापते हैं –
असली सफलता किसी काम को अच्छी तरह करने ,
और अपने लक्ष्य को हासिल करने के अहसास से मापी जाती है |
सफलता इस बात से नहीं मापी जाती कि हमने जिंदगी में कौन- सा ओहदा हासिल किया है , बल्कि इस बात से मापी जाती है|
कि हमने वह मुकाम कितनी रूकावटों को दूर करके हासिल किया है |
सफलता इस बात से भी नहीं मापी जाती कि हम जिंदगी में दूसरे लोगों की तुलना में कैसी उपलब्धियाँ हासिल कर रहे हैं ,
बल्कि इस बात से मापी जाती है कि हम अपनी क्षमताओं की तुलना में कितनी उपलब्धियाँ हासिल कर रहे हैं |
सफल लोग अपने आपसे मुक़ाबला करते हैं | वे अपना खुद का रिकार्ड बेहतर बनाते हैं , और उसमें लगातार सुधार लाते रहते हैं |
सफलता इस बात से नहीं मापी जाती कि हमने जिंदगी में कितनी ऊँचाई हासिल कि है ,
बल्कि इस बात से मापी जाती है कि हम कितनी बार गिर कर उठे हैं |
सफलता का आकलन गिर कर उठने कि इस क्षमता से ही किया जाता है |
सफलता की हर कहानी महान असफलताओं की भी कहानी है –
असफलता , सफलता हासिल करने का राजमार्ग है | आई . बी . एम . के टॉम वाटसन , सीनियर का कहना है , अगर आप सफल होना चाहते हैं , तो अपनी असफलता की दर दूनी कर दीजिए|
अगर हम इतिहास पढ़ें , तो पाएंगे कि सफलता की हर कहानी के साथ महान असफलताएँ भी जुड़ी हुई हैं |
लेकिन लोग उन असफलताओं पर ध्यान नहीं देते | वे केवल नतीजों को देखते हैं ,
और सोचते हैं कि उस आदमी ने क्या किस्मत पाई है , वह सही वक्त पर , सही जगह रहा होगा |”
एक आदमी की जिंदगी की कहानी बड़ी मशहूर है | यह आदमी 21 साल की उम्र में व्यापार में नाकामयाब हो गया
; 22 साल की उम्र में वह एक चुनाव हार गया ; 24 साल की उम्र में उसे व्यापार मे फिर असफलता मिली ;
26 साल की उम्र में उसकी पत्नी मर गयी ; 27 साल की उम्र में उसका मानसिक संतुलन बिगड़ गया ;
34 साल की उम्र में वह कांग्रेस का चुनाव हार गया , 45 साल की आयु में उसे सीनेट के चुनाव में हार का सामना करना पड़ा ;
47 साल की उम्र में वह उपराष्ट्रपति बनने में असफल रहा ;
49 साल की आयु में उसे सीनेट के एक और चुनाव में नाकामयाबी मिली ; और वही आदमी 52
साल की उम्र में अमरीका का राष्ट्रपति चुना गया | वह आदमी अब्राहम लिंकन था |
क्या आप लिंकन को असफल मानेंगे ? वह शर्म से सिर झुका कर मैदान से हट सकते थे ,
और अपनी वकालत फिर शुरू कर सकते थे | लेकिन लिंकन के लिए हार केवल एक भटकाव थी , सफर का अंत नहीं |
– शिव खेड़ा
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