एक दिन किसी ब्राह्मण ने रात मे स्वप्न देखा कि उसको सौ रूपये उधार अपने मित्र से मिले है सवेरे जब नींद खुली तो उसका अच्छा या बुरा फल जानने कि इच्छा हुई उसने अपने मित्रो मे बैठकर इस बात कि चर्चा कि |
धीरे – धीरे खबर बिजली कि तरह फैल गई | यहा तक कि उस मित्र ने भी इस बात को सुना जिससे कि ब्राह्मण ने स्वप्न मे सौ रुपए लिए थे |उसके जी मे लालच आ गया उसने चाहा कि किसी तरह ब्राहमण से रुपया लेना चाहिए और उसके पास रुपया लेने पहुचा और कहने लगा कि जो सौ रुपया उधार लिया था मुझको जरूरत है इसलिए आज तुम मेरे रूपये दे दो |
गरीब ब्राह्मण ने पहले तो सोचा कि मित्र हसी- मज़ाक कर रहा है | परंतु जब वह हाथापाई करने को तैयार हुआ|
और बहुत भय आदि दिखाया तो ब्राह्मण के भी प्राण सूखने लगे सौ रुपया कहा से देते विवस होकर हिम्मत बांध वह भी मित्र से सामना करने खड़े हो गए अब तो मित्र के कान खड़े हुए उन्हे आशा थी कि डरकर ब्राह्मण देवता रुपया दे देंगे |
लेकिन जब उसको इस आशा पर पानी फिरता दिखाई दिया तो वह ब्राह्मण को धमकी देकर अपने घर को चला गया |