हिम्मत न हारो
जब कोई काम बिगड़ जाए ,
जैसा कि कभी – कभी होगा
जब रास्ता सिर्फ चढ़ाई का ही दिखता हो
जब पैसा कम और कर्ज ज्यादा हो
जब मुस्कराहट की इच्छा आह बने ,
जब चिंताएँ दबा रही हों
तो सुस्ता लो , लेकिन हिम्मत न हरो
भूल – भुलैया है ये जीवन
पगडंडिया जिसको हमें पार करनी है
कई असफल तब लौट गए
पार होते गए जो आगे बढ़ते गए
धीमी है रफ्तार तो क्या
मंजिल को एक दिन पाओगे
सफलता छिपी असफलता में ही
जैसे शंका के बादल में आशा की चमक
नाप सकोगे क्या इतनी दूरी
दूर दिखती है लेकिन मुमकिन है यह नजदीक हो
डटे रहो चाहे कितनी भी मुश्किल हो
चाहे हालात जीतने भी बुरे हों , लेकिन हिम्मत न हरो , डटे रहो |
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