Hindi Paheli Uttar Sahit
रह – रह बजती पर , घड़ी नहीं
पतली , दुबली पर छड़ी नहीं ,
दो मुख वाला पर साँप नहीं ,
साँसे भरती पर आह नहीं |
( बांसुरी )
***** 1-
धन दौलत से बड़ी है यह ,
सब चीजों से ऊपर है यह
जो पाए इसे पंडित बन जाए
बिना पाए इसे मूर्ख रह जाए |
( विद्या )
*****- 2
जिसके आगे जी , जिसके पीछे जी
नही बताओगे तो पड़ेंगे डंडेजी ||
( जीजा जी )
***** -3
रात में है पर दिन में नहीं |
चतुर में हैं , पर चालाक में नही |
स्वर मे हैं , पर व्यंजन में नहीं |
( अक्षर ‘ र )
***** – 4
चढ़ चौकी पर बैठे रानी ,
सर पर आग बदल पर पनि
बार – बार सर काटे जाका ,
कोई नाम बतावे बाका
( दीया )
***** 5
अंधे मुझको नहीं जानते ,
काना कुछ पहचानें |
जिनको दिखाई कम देता ,
वे मेरे दीवाने |
( चश्मा )
***** – 6
जादू के डंडे का देखो ,
बिन तेल बिन बाती
नाक दबाते तुरन्त रोशनी ,
सभी ओर फैलाती |
( टार्च )
******-7
दो अक्षर का मेरा नाम ,
सर को ढकना मेरा काम |
( टोपी )
******-8
सिर पर कलंगी पर मैं न चन्दा ,
गरजे बादल , नाचे बंदा |
******- 9
( मोर )
एक नारी के हैं दो बालक ,
दोनों एक ही रंग |
पहला चले दूसरा सोचे ,
फिर भी दोनों संग |
( चक्की )
****** – 10
Hindi Paheli Uttar Sahit
हवालात में बंद पड़ी हूँ ,
फिर भी बाहर पाओगे |
बिना पैर के सैर करूँ मैं ,
बिन मेरे मर जाओगे |
( हवा )
****** – 11
अगर कहीं मुझको पाजाता ,
बड़े प्रेम से तोता खाता |
बच्चे , बूढ़े अगर खाजाते ,
व्याकुल हो आँखें भर लाते |
( हरी मिर्च )
****** 12
एक थाल मोतियों से भरा ,
सबके सिर पर औंधा धरा |
चारों ओर वह थाली फिरे ,
मोती फिर भी न एक गिरे |
( तारों भरा आकाश )
****** – 13
काला है पर कौआ नहीं ,
बेढ़व है वह हौआ नहीं |
करे नाम से सारा काम |
अब बतलाओ उसका नाम |
( दीया )
****** – 14
नये जमाने का बच्चा हूँ ,
पर एक कान का कच्चा हूँ |
तुम जो कहते इस पार ,
पहुँच जाता हूँ उस पार |
( टेलीफोन )
****** – 15
हाथ ,पैर नहीं जिसके ,
न कहीं , आता – जाता |
फिर भी सारी दुनिया की ,
खबरें हमें सुनाता |
( रेडियो )
****** -16
खुदा की खेती का देखकर हाल ,
ना कोई पत्ता ना कोई डाल |
ना बीज डाला ना जोता हल,
नहीं लगता उसमें कोई फल |
पर जब काटे उसको भाई ,
होती पहले से दूनी सवाई |
( सिर के बाल )
****** 17
एक चीज ऐसी कहलाए ,
हर कोई मजबूरी में खाये |
गर कैसी मजबूरी होए ,
खाकर भी भूखा रह जाये |
( कसम }
****** – 18
तीन पैर से तिकड़म बामू ,
उठकर गंगा नहाते |
दाल – भात का स्वाद न जाने ,
सूखी रोटी खाते |
( चकल )
****** -19
बोल नहीं पाती हूँ मैं ,
और नहीं सुन पाती हूँ |
बिन आँखों के हूँ मैं अंधी ,
पर सबको राह दिखाती |
( पुस्तक )
****** -20
पक्षी एक देखा अलबेला ,
पंख बिना उड़ रहा अकेला |
बांध गले में लम्बी डोर ,
नाप रहा है , अम्बर का छोर |
( पतंग )
****** – 21

राजा रानी की सुनो कहानी ,
एक घड़े में दो रंग का पानी |
( अंडा )
****** – 22
महफिल में आये दो भाई ,
आते ही हो गयी ठुकाई |
मुँह पर लगे तमाचे खाने
दोनों लग गये तान सुनाने
( तबला )
***** – 23
बीसों का सिर काट लिया
न मारा न खून किया
( नाखून )
***** -24
एक ना चातर कहलावे ,
मूरख को न पास बुलावे |
चातर मरद जो हाथ लगाये ,
खोल सतर वो आप दिखावे |
( पुस्तक )
***** -25
हाथी घोड़ा ऊँट नहीं ,
खाये न दाना पास |
सदा हवा पर ही रहे ,
होय न कभी उदास |
( साइकिल )
***** 26
एक नाहर हमने ऐसा देखा ,
आधा आदमी दाबे बैठा |
चले फिरे करे ना बात ,
उस नाहर के मुँह में सात
( पायजामा )
***** 27
एक गोड़ दो बहियां ,
मोड़ सुसर के पैया |
( लंगोट )
***** 28
एक पुरुष और चार है नर ,
इन में देखा क्या प्यार |
मन में बुझ और दिल में सूझ ,
हाथों हाथ पहेली बुझ |
( चार अंगुलियाँ , एक अंगूठा )
***** – 29
अगर कुंड चिकनौट घाट ,
बत्तीस रूख और एक पात |
( बत्तीस दाँत , एक जीभ )
****** – 30
एक परिंदा बे पाँव फिरे ,
सीने बीच बरछी धरे |
जो कोई उससे पूछने जाए ,
सब को सब की राह दिखाये |
( कुतुबनुमा )
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